भृंगराज से वशीरकण

भृंगराज से वशीरकण

भृंगराज से वशीरकण, भृंगराज का पौधा औषधीय गुणों से भरा हुआ है। इसके उपयोग के बारे मंे महिलाएं काफी अच्छी तरह से जानती हैं। चाहे इसे केश चमकाने और काला करने के लिए किया जाए, या फिर उसे माथे पर तिलक लगाकर किसी वशीकरण किया Postजाए

इसमें बेहद प्रभावशाली गुण पाए जाते हैं। रात को सोने से पहले यदि इसकी ताजा पत्तियों के रस से सिर में मालिश की जाए तो इससे बाल न केवल काले बन जाते हैं, बल्कि उसमें किसी को भी वशीभूत करने की अद्भुत क्षमता आ जाती है।

भृंगराज से वशीरकण
भृंगराज से वशीरकण

भृंगराज संस्कृत नाम है, लेकिन इसे कई नामों से जाना जाता है। हिंदी में इसे समान्य बालचाल की भाषा में भंगेरा, भंगरैया , भांगरा या मार्कव कहलाता है। यह गाढ़े हरे रंग का होता है। स्वाद में कडावाहट होती है। इसकी जड़ और पत्ते को मुंह मंे रखना भी किसी साधना से कम नहीं होत है।

यही कारण है कि इसका उपयोग वशीकरण की साधना के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से करेने आतिरिक्त दूसरे के साथ मिलाकर भी किया जाता है। इसके सहयोगी जड़ी बूटियें में अपामार्ग महत्वपूर्ण बताया गया है। अपामार्ग की जड़ को यदि पुष्य नक्षत्र में लाया जाए और उसके भृंगराज के पत्ते या जड़ को मिलाकर पीस लिया जाए तो इस तरह तैयार पेस्ट वशीकरण टोटके के काम आ सकता है।

इस प्रयोग को स्त्री या पुरुष कोई भी विपरीत लिंग के व्यक्ति के लिए कर सकते हैं। वैसे इस तिलक के जरिए किसी महत्वपूर्ण मीटिंग में सामने वाले को प्रभावित किया जा सकता है। इसके तिलक लगाने से धनागमन की संभावना बढ़ती है और अटका हुआ पैसा भी मिल जाता है। 

कुछ टोटकेः 

प्रेमी या पति को वश में करने के लिए भुंगराज की जड़ से वशीरकण के कुछ सरल टोटके दिए गए हैं, जिनके साधारण प्रयोग से अचूक असर होता है। 

    • यदि ऐसा महसूस हो कि प्रेमी या पति किसी और लड़की के प्रति आसक्त हो गया हो, या फिर आपके प्रति उसका आकर्षण कम होने लगा हो तो भृंगराज की जड़ को अपने मुंह में रखकर उसके पास जाएं। कुछ समय में ही पाएंगे कि कल तक रूखेपन से बातें करने वाला प्रेमी या पति प्यार से बातें करने लगा है। ऐसा लगातार एक सप्ताह तक करने से प्रेमी हमेशा के लिए वशीभूत हो जाएगा।
    • भृंगराज के साथ गोरोचन और गोखरू की जड़ को मिलाकर पीस लें। उस मिश्रण को एक छोटी डिब्बी में रख लें। बिंदी लगाने से पहले उस जगर पर मिश्रण की लेप करें। यह स्नान के बाद करें। उसके बाद उस स्थान पर बिंदी लगाएं और दूसरे की अकर्षित हो चुके प्रेमी या पति के सामने जाएं। ज्योंही उसकी नजर आपकी बिंदी पर जाएगी और आपके बिंदू के नीचे फैले हुए लेप के बारे में पूछेगा तो समझें उसपर मिश्रण के लेप का असर हो चुका है।
    • भृंगराज के रस में गोरोचन, मैंसील और सिंग्रल को घिसने से एक मिश्रण बनाएं। उसे अपने बाएं हाथ पर जिस लड़की को वश में करना है उसका नाम लिखें। हाथ आग में तपाएं। इस दौरान 11 बार निम्न मंत्र का जाप भी करें। ऐसा करने पर उस लड़की का वशीकरण अवश्य होगा। मत्र हैः-  ऊँ भृंगराज महाचेतनी सर्वे चैतन्य शक्ति ह्रीं कलीम श्रौं श्रीम श्रः हूँ प्रेमिका का नाम शीग्रह मोहये मोहये स्व स्वाहा
    • विभिन्न रोगों के उपचारों में काम आने वाला तथा तनाव से मुक्ति दिलाने वाला बहुत ही चर्चित नाम भृंगराज तेल भी है। इसका इस्तेमाल भी वशीकरण के लिए किया जा सकता है।
    • भृंगराज में अपामार्ग, लालवंती और सहदेवी की जड़ को मिलाकर पीसने से बने मिश्रण का तिलक लगाने से एकसाथ कई लोगों को आकर्षित किया जाता है। इसका उपयोग जनसभाओं में कर जनसमूह का सार्वजनिक वशीकरण हो जाता है। 
    • शुभ दिन देखकर भृंगराज के टहनी के साथ अपामार्ग, लाजवंती और सहदेवी मूल को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें।  इस तरह से बने पेस्ट का उपयोग वशीकरण के लिए करें। जिस किसी व्यक्ति का वशीकरण करना है उसके सामने इसका तिलक लगाकर जाएं। तिलक पर ज्योंही उसकी नजर जाएगी आपके वश में आए बगैर नहीं रह सकता है। चाहे कैसा भी विरोधी या आपमें खमियां निकालने वाला क्यों न हो तिलके प्रभाव में आकर आपकी किसी न किसी रूप में तारीफ अवश्य करेगा। वह तारीफ आपके पहनावे, व्यक्तित्व चेहरे की चमक, आपकी कोई खास उपलब्धि या फिर आपके उपहार की हो सकती है। 
    • भृंगराज के रस में गुंजा के फल को मिलाकर उसे पहले तिल के तल के पकाएं। उसके बाद उसे छानकर प्राप्त होने वाला खास गंध के तेल की मालिश से वशीकरण के टोटके किए जाते हैं। जिस किसी का वशीकरण करना है उसके सामने उस तेल को ललाट पर लगाकर जाएं। उसकी चमक सामने वलो को पलक झपकते ही वशीभूत कर देगी।

तांत्रिक साधना

भृंगराज के पत्तेे से रस में अगर चमत्कारी औषधीय गुण पाए जाते हैं, तो उसकी जड़ को तंत्र-साधना से अभिमंत्रित कर मनोवांछित वशीकरण के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है।  अभिमंत्रित जड़ से ने केवल स्त्री या पुरुष, बल्कि पशु या मवेशी तक वशी में आ जाता है। सिद्ध किया जाने वाला मंत्र इस प्रकार हैः- 

   ऊँ नमः महा यक्षिणी, वशमानय यं यं यं यं यं यं यं फट स्वाहाः !!

प्रयोग विधिः इस मंत्र से भृंगराज की जड़ को सिद्ध करने के लिए सफेद परिधान पहनें, जो धुले हुए हैं। यदि नया हो  तो और भी अच्छा होगा। भृंगराज पौधे का फूल सफेद होता है, इसलिए श्वेत वस्त्र का उपयोग किया जाना चाहिए। साधना के एक दिन पहले भृंगराज का जड़ लकर रख लें।

साधना के उपयुक्त समय सूर्योदय से पूर्व होना चाहिए। घर के ईशान कोण की दिशा में अपना मुंह कर असन पर बैठें। प्रयोग सिद्ध होने पर जल लेकर जड़ को अभिमंत्रित करने के लिए 108 बार मंत्र का जाप करें और हर बार दाएं हाथ से उसपर जल छिड़कंे।  इस तरह से अभिमंत्रित जड़ के छोटे से टुकड़े को मुंह में लेकर वशीकरण का प्रयोग किया जाता है।

 दूसरा मंत्रः ऊँ पिंगलायै नमः

इस मंत्र का विधिवत अनुष्ठान के दौरान कुल 1188 बार जाप किया जाना चाहिए। इसके लिए सूर्योदय के समय सुनहला परिधान धारण करना चाहिए। वैसे भगवा रंग के कपड़े भी पहने जा सकते हैं।

आम के पत्ते से वशीकरण

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